Use of regional languages ​​including Hindi in courts
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Editorial: अदालतों में भी हो हिंदी समेत क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग

Use of regional languages ​​including Hindi in courts

Use of regional languages ​​including Hindi in courts

Use of regional languages ​​including Hindi in courts- पंजाब में पंजाबी भाषा को मां बोली कहकर उस पर राजनीति नई बात नहीं है। प्रत्येक सरकार के वक्त पंजाबी को लेकर सक्रियता दिखाई जाती है, सामाजिक संगठन अभियान चलाते हैं। प्रदेश में सरकारी दफ्तरों के बाहर के बोर्ड आदि तक को पंजाबी भाषा में लिख दिया जाता है, हालांकि सच्चाई यह भी है कि पंजाबी को न्यायालय की भाषा बनाने की कभी जरूरत नहीं समझी गई। जबकि सबसे ज्यादा जरूरी न्यायालयों में ऐसी भाषा को अमल में लाए जाने की है, जोकि हर खास और आम को समझ में आए।

दरअसल, यह सामने आया है कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट और राज्य की जिला अदालतों में पंजाबी भाषा के उपयोग की अनुमति को लेकर राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजा गया है। उच्च न्यायालय में अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषा में काम संबंधी प्रस्ताव पर चीफ जस्टिस यानी सीजेआई की अनुमति जरूरी है। देश के अंदर पिछले कुछ समय के दौरान मातृ भाषाओं को आगे बढ़ाने की जो मुहिम शुरू हुई है, वह सांस्कृतिक, सामाजिक रूप से देश की एकता को बढ़ाने वाली है, इसी परिप्रेक्ष्य में 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस मनाया जा रहा है।

दरअसल, लोकसभा में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने इसका जवाब दिया है कि पंजाब में पंजाबी भाषा को अहमियत दिलाने के लिए राजनीति तो बहुत हो रही है, लेकिन इसे अदालतों की भाषा बनाने को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा। हालांकि अभी कुछ दिन पहले ही पंजाब विधानसभा अध्यक्ष की ओर से सभी विधायकों, अधिकारियों और भाषा विशेषज्ञों से बैठक कर पंजाबी को पूरी तरह से लागू करने में आ रही दिक्कतों को दूर करने पर विचार किया गया है। बेशक, विधानसभा में पंजाबी भाषा के ज्यादा इस्तेमाल की जरूरत है।

पंजाब की तुलना में हरियाणा विधानसभा की ओर से भी हिंदी में ही कार्यवाही को चलाए जाने की तैयारी की गई है। हरियाणा विधानसभा स्पीकर की ओर से इस संबंध में सरकार को भी सूचित किया गया है कि विधानसभा में बजट सत्र की कार्यवाही हिंदी में ही होगी। यह अपने आप में सराहनीय फैसला है। हिंदी को लेकर देश में काफी ऊहापोह की स्थिति रही है और कमोबेश अभी भी है। दक्षिण के राज्यों में एक समय हिंदी का भारी विरोध होता था, लेकिन आज वहां के हालात भी बदले हुए हैं। इसी प्रकार उत्तर भारत में दक्षिण की भाषाओं और संस्कृति के प्रति अनुराग बढ़ा है।

बेशक, यह सब आधिकारिक नहीं है, लेकिन केंद्र सरकार भी अब सभी भाषाओं को आगे लाने का भरसक प्रयास कर रही है। यह किसी प्रकार अनुचित नहीं है कि राज्यों की अपनी भाषाएं हों, लेकिन केंद्र में एक ऐसी भाषा भी हो, जो कि पूरे देश को जोडऩे का काम करे।

हिंदी वह भाषा बन चुकी है, सबसे ज्यादा समाचार पत्र, न्यूज चैनल, पत्रिकाएं, संस्थान अब हिंदी में हैं। हिंदी में बोलना एक समय हेय समझा जाता था, लेकिन आज हिंदी सम्मान और गौरव की भाषा है। ऐसे में हिंदी की ध्वज पताका को लहराते हुए अगर क्षेत्रीय भाषाओं को आगे बढ़ाया जाए तो यह सराहनीय कार्य होगा। वहीं जहां तक अदालती भाषा की बात है तो यह ऐसी होनी ही चाहिए जोकि सभी की समझ में आए। गौरतलब है कि जिन राज्यों ने हिंदी में अदालती काम के प्रस्ताव केंद्र को भेजे थे, कानून मंत्रालय के तत्वावधान में बार काउंसिल आफ इंडिया ने भारतीय भाषा समिति का गठन किया था। सीजेआई ने इस कमेटी की अध्यक्षता करते हुए क्षेत्रीय भाषाओं में कानूनी सामग्री का अनुवाद करने को कहा था।

बीते महीने ही सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि अंग्रेजी भाषा ज्यादातर लोगों के लिए समझ से बाहर है। नागरिकों की न्याय तक पहुंच तब तक सार्थक नहीं हो सकती, जब तक कि नागरिक इसे उस भाषा में समझने में सक्षम न हों। वास्तव में कानून की भाषा अंग्रेजी है और वह भी इतनी दुरूह कि कानून के विद्यार्थियों को ही उसे समझने में वक्त लग जाता है। फिर अदालतों में अधिवक्ता अंग्रेजी भाषा में ही जिरह करते हैं, जिसे समझना आम आदमी के लिए मुश्किल है।

आज के समय में जब सभी विषयों का सरलीकरण हो रहा है, तब जनसामान्य से जुड़े अदालती कार्यों का भी क्यों नहीं सरलीकरण हो। और ऐसा तभी होगा, जब अदालत की कार्यवाही हिंदी व अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में चलाई जाए। दरअसल, पंजाब, हरियाणा की सरकारों को चाहिए कि जन सहुलियत के लिए पंजाबी और हिंदी को ज्यादा से ज्यादा राजकीय भाषा बनाते हुए उसमें अदालती कार्यवाही का भी संचालन कराया जाए। पंजाबी का सत्कार महज बैठकों से नहीं होगा, अपितु उसे हकीकत में अमल में लाने से होगा। अब समय जनता को ज्यादा से ज्यादा सुविधा प्रदान करने का है। क्योंकि जनता ही जनार्दन है।

 

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